मुझको यारो जीने खातिर,पत्नी प्यारी चाहिए।पढ़ी-लिखी हो या अनपढ़ हो,केवल क्वारी चाहिए।। उसका तन महकाए खुशबू,रूप परी-सी लगती हो।मुझको तो सोने दे घर में,स्वयं रातभर जगती हो।करे काम वह सारे घर का,गुण में न्यारी चाहिए।। मुझको… दो बच्चे होते हैं अच्छे,यही सोचकर रहता हूँ।घर में दो बच्चे पाने की,सदा प्रणय में कहता हूँ।ध्यान रखे वह […]
जिसने त्याग तपस्या छोड़ी, छोड़े सुखद विचार। मानव-जीवन दूषित होता, है वह भ्रष्टाचार।। किया कलंकित कर्म निराला,रिश्वत खा जीवन में।उसका मन कलुषित कहलाता,दोष बढ़े तन-मन में।है ये मानव की अभिलाषा,मिले जगत में प्यार।। मानव… बिना कपट के, बिना द्वेष के,जो नर जीवन जीता।यश उसका अमृत बन जाता,नित्य उसे वह पीता।अच्छे कर्म दिलाता गौरव,मिले उसे सत्कार।। […]