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दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन के द्वारा छंद के विद्वान आचार्य अनमोल की छंद विधान पर लिखी हुई पुस्तक “हिंदी छंद मंजूषा” का लोकार्पण हिंदी भवन नई, दिल्ली में संपन्न हुआ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती इंदिरा मोहन ने की। कार्यक्रम में सारस्वत अतिथि के रूप में वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष एवं हिंदी भाषा के मर्मज्ञ श्री अनिल जोशी उपस्थित रहे।

विशिष्ट अतिथि के रूप में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के साहित्य विभाग के प्रोफेसर बी. नंदा उपस्थित रहे। इसी अवसर पर अमेरिका से पधारे हुए प्रसिद्ध छंद कवि एवं ‘साहित्य मंच’ के अध्यक्ष श्री इंद्रदेव मिश्र ‘देव’ उपस्थित रहे।
सम्मानित अतिथि के रूप में अंतरराष्ट्रीय कवि श्री गजेंद्र सोलंकी का सामीप्य मिला तथा कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो० जगदेव कुमार शर्मा उपस्थित रहे। इसी अवसर पर हिंदी भवन के सचिव डॉ० गोविंद व्यास भी मंच पर उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का प्रारंभ मंणिदीप प्रज्वलन के साथ शुरू हुआ, जिसमें पं० ऋषभ भारद्वाज, पं० दीपक शास्त्री आदि के समवेत स्वर में वैदिक मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया।
कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए प्रो० रवि शर्मा ‘मधुप’ ने सभी आगंतुक अतिथियों को मंच पर बैठने के लिए आमंत्रित किया। सभी अतिथियों का पुष्प माला तथा शाॅल भेंट करके सम्मान किया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में कवयित्री सुधा संजीवनी ने अपने मधुर कंठ से सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। वक्ताओं के क्रम में सबसे पहले प्रसिद्ध कवि श्री शशिकांत ने पुस्तक में लिखी हुई अपनी भूमिका के विषय में संबोधित करते हुए कहा कि वास्तव में आचार्य अनमोल ने इस पुस्तक में एक ही जगह विभिन्न छंदों का ज्ञान लिखकर गागर में सागर भर दिया है। निश्चित ही इससे नए कवियों और छंद- प्रेमियों को लाभ होगा। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो० जगदेव कुमार शर्मा ने पुस्तक की समसामयिक विशेषताओं को बताते हुए स्पष्ट किया कि आजकल ऐसी छंद की पुस्तक या तो लिखी नहीं जा रहीं अथवा आधी-अधूरी ही लिखी जा रही हैं। आगे उन्होंने बताया कि वास्तव में इस पुस्तक में हिंदी भाषा और वर्तनी का प्रयोग बहुत ही उच्च श्रेणी का किया गया है। आचार्य अनमोल बहुत ही बधाई के पात्र हैं। अमेरिका से पधारे हुए प्रसिद्ध कवि इंद्रदेव मिश्र ‘देव’ ने आचार्य अनमोल के काव्यशास्त्र पुस्तक की भूरि भूरि प्रशंसा की। उन्होंने अपने वक्तव्य मैं कहा कि मैं आचार्य अनमोल के ज्ञान को दंडवत प्रणाम करता हूँ, मैं उनके व्यक्तित्व से बहुत ही प्रभावित हूँ। वे मेरे पिता तुल्य हैं। आगे उन्होंने अपने तीन कविताएँ भी सुनाईं, जिन्हें सुनकर सभी श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।

कार्यक्रम में दादरी से पधारे हुए अखिल भारतवर्षीय ब्राह्मण महासभा के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष पं० पीतांबर शर्मा ने आचार्य अनमोल को अनुपम ग्रंथ लिखने के लिए बहुत-बहुत बधाई दी। वे संस्कृत, हिंदी के विद्वान हैं तथा महासभा की पत्रिका ‘ब्रह्म सुधा’ के अनेक वर्षों तक संपादक रहे हैं। मैं आचार्य अनमोल को कार्यक्रम में पधारे हुए अपने सभी साथियों की तरफ से और ब्राह्मण महासभा की तरफ से बधाई देता हूँ।
विशिष्ट अतिथि प्रो० बी. नंदा ने अपने वक्तव्य में संस्कृत के शास्त्रीय स्वरूप का बड़े विस्तार से वर्णन किया उन्होंने बताया कि किस तरह संस्कृत साहित्य में छंद का महत्व है। इस संस्कृत छंद की श्रेणी में ही आचार्य अनमोल ने हिंदी भाषा में सरल शब्दों में यह छंद विधान को बताने वाला ग्रंथ रचकर एक अच्छा कदम उठाया है। निश्चित ही इसे छंद शास्त्रियों के द्वारा समाद्रित किया जाएगा।

कार्यक्रम के सारस्वत अतिथि श्री अनिल जोशी ने हिंदी भाषा के वैश्विक प्रयोग के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि तमाम देशों में हिंदी अपनी बुलंदियों को छू रही है हिंदी के इस प्रचार प्रसार में कविताओं का भी बहुत योगदान है। इस योगदान की कड़ी में आचार्य अनमोल ने इस ग्रंथ को रचकर काव्य के प्रेम को अधिक बढ़ाया है। निश्चित ही आचार्य अनमोल का व्यक्तित्व आकर्षक है और यही कारण है कि इस हाॅल में प्रबुद्ध श्रोताओं की अपार भीड़ है। अंतरराष्ट्रीय कवि श्री गजेंद्र सोलंकी ने आचार्य अनमोल को बहुत-बहुत बधाई दी और उन्होंने कहा कि आचार्य अनमोल का व्यक्तित्व बहुत ही सहज सरल और आकर्षक है। वे हिंदी छंदों के बहुत ही जानकार हैं और यह पुस्तक काव्य के क्षेत्र में मील की पत्थर साबित होगी। उन्होंने अपने काव्य पाठ के द्वारा सभी श्रोताओं को बहुत ही प्रभावित किया।

पुस्तक विमोचन का संचालन हिंदी के विद्वान प्रो० रवि शर्मा मधुप ने बड़े ही कुशल और संयमित रूप से किया। अपने संचालन के बीच-बीच में उन्होंने आचार्य अनमोल के वैयक्तिक गुणों का बखान भी किया।

कार्यक्रम के केंद्र बिंदु एवं प्रमुख आकर्षण आचार्य अनमोल ने अपने वक्तव्य में पधारे हुए सभी मंचासीन अतिथियों का तथा हाॅल में बैठे हुए सभी श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा है कि मेरी प्रार्थना पर आप सभी यहाँ पर उपस्थित हुए यह मेरे लिए बड़े सौभाग्य की बात है। आशा है भविष्य में भी इस तरह ही आपका सहयोग मिलता रहेगा। अपनी बात को रखते हुए उन्होंने कहा कि अभी तक इस पुस्तक में जो कुछ भी कहना था मैंने ही कहा है अब आगे इस पुस्तक को पढ़कर आप लोग कहेंगे और मेरा मार्गदर्शन करेंगे।
कार्यक्रम के अंत में कार्यक्रम तथा सम्मेलन की अध्यक्ष वरिष्ठ कवयित्री एवं साहित्यकार श्रीमती इंदिरा मोहन ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि यह आचार्य अनमोल के व्यक्तित्व का ही प्रभाव है कि इतने सारे लोग इस कार्यक्रम में उपस्थित हुए हैं। दिल्ली हिंदी साहित्य सम्मेलन के इतिहास में पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम इतने लोगों की भीड़ कभी नहीं देखी। उन्होंने बताया कि इस छंद की पुस्तक में मेरी भी भूमिका है, जिसमें मैंने आचार्य अनमोल के काव्यशास्त्र के ज्ञान तथा व्यक्तित्व को स्पष्ट किया हुआ है। वास्तव में अनमोल जी एक बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी हैं। उन्होंने कार्यक्रम में पधारे हुए सभी लोगों का बहुत-बहुत आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम के समापन पर आए हुए सभी अतिथियों को तथा श्रोताओं को हिंदी छंद मंजूषा की पुस्तक सप्रेम भेंट की गई।

8 Comments

  1. अरुण मिश्र
    20 नवम्बर 2024 @ 3:34 पूर्वाह्न

    बहुत सुंदर कार्यक्रम हुआ है। बहुत-बहुत बधाई

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  2. Dev
    20 नवम्बर 2024 @ 3:46 पूर्वाह्न

    आचार्य अनमोल जी एक लब्ध प्रतिष्ठ एवं ख्यात लेखक है, जोकि किसी एक विषय से न बंध कर सम-सामयिक एवं पुरा – ऐतिहासिक विषयों पर एक लंबे समय से लिख रहे हैं।
    इनके द्वारा गद्य एवं पद्य का गंगा-जमुनई लेखन संगम-सा प्रतीत होता है।
    ईश्वर इन्हें समय-स्वास्थ्य एवं साहित्यिक समृद्धि का अक्षय वर प्रदान करें जिस से समाज के लिए अधिक से अधिक लिख सकें।

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  3. कृष्णा शर्मा
    20 नवम्बर 2024 @ 3:57 पूर्वाह्न

    माननीय एवम आदरणीय के द्वारा लिखी हुई प्रत्येक पुस्तक लोगों को महान बनाती है तथा ‘हिंदी छंद मंजुसा’ पुस्तक हिंदी को बढ़ावा देती है और लोगों को हिंदी के प्रति ज्ञानता का प्रभाव डालती है!
    आदरणीय जी के द्वारा लिखी गयी सभी पुस्तकें एक बार मानवजाति को अवश्य पढ़नी चाहिए तथा अपने जीवन मे उनके हाव-भाव को उतारना चाहिए!
    हम बहुत खुशी की अनुभूति होती है ‘ब्राह्मण महिमा’ पुस्तक में ब्राह्मण का जो जो उल्लेख किया है वह अनुकरणीय है,,में माननीय ‘आचार्य अनमोल’ जी निवेदन करूंगा कि हमारे जीवन मे ऐसी महान पुस्तकों का लोकार्पण करते रहें..!

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  4. जितेन्द्र कुमार शर्मा
    20 नवम्बर 2024 @ 8:53 अपराह्न

    यथा नाम तथा गुण: को चरितार्थ करते हुए आपश्री के द्वारा रचित हिंदी छंद मंजूषा पुस्तक हिंदी जगत में अप्रतिम,अनुपम और अनमोल कृति है। उक्त कार्य की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है।
    प्रभु कृपा करें, आप ऐसे ही समाज पर उपकार करते रहें।
    🙏शत शत नमन 🙏

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  5. पंकज गोस्वामी
    2 दिसम्बर 2024 @ 12:33 अपराह्न

    आचार्य अनमोल जी द्वारा लिखित छंद विधान की पुस्तक हिंदी छंद मंजूषा , छंद शास्त्र सीखने के लिए तथा छंद प्रेमियों को मार्ग दर्शन देने के लिए सर्वोत्तम पुस्तक है। आपके कार्य की जितनी प्रशंसा की जाए उतनी कम है।

    पंकज गोस्वामी

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  6. Dr Ramchandra Tripathi
    7 दिसम्बर 2024 @ 7:08 अपराह्न

    छंद सिखाने के लिए सुंदर पुस्तक
    डॉ० रामचंद्र त्रिपाठी झाँसी

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  7. Karan Singh Yadav
    7 दिसम्बर 2024 @ 7:26 अपराह्न

    Aacharya Anmol ki Hindi chhand manjusha chhand vishay mein bahut hi mahatvpurn pustak hai isase kaviyon ko bahut Labh hone wala hai
    Karan Singh Yadav Jhansi

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  8. BHUVNESH SHARMA
    18 दिसम्बर 2024 @ 8:27 अपराह्न

    आचार्य अनमोल द्वारा लिखित हिंदी छंद मंजूषा पुस्तक वर्तमान में बहुत ही जरूरी है इससे नवोदित कवियों को तथा छंद प्रेमियों को एक दिशा निर्देश मिलेगा मैं आचार्य अनमोल जी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं !
    भुवनेश शर्मा , धौलपुर

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