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(काव्यात्मक वर्णन)

भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री युगपुरुष
श्री नरेंद्र मोदी जी के
कालजयी व्यक्तित्व व कृतित्व का तय
काव्यात्मक वर्णन


आचार्य अनमोल


© सर्वाधिकार- आचार्य अनमोल
प्रकाशक: अनमोल प्रकाशन: सी-84, गली नं० 3,
भजनपुरा, दिल्ली-110053
प्रथम संस्करण: 2024 मूल्य: 150/- रुपए

भूमिका


        मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि ‘आचार्य अनमोल’ जी ने मोदी जी के यशस्वी जीवन से प्रभावित होकर अपने हृदय के भावों को ‘‘युगपुरुष नरेंद्र मोदी’ काव्य-रचना में मूर्त रूप दिया है। जब मैंने इस कृति की पांडुलिपि को पढ़ा तो मैं गदगद हो गया। इस पुस्तक में मोदी जी के प्रखर व्यक्तित्व का बड़ी बारीकी से काव्यात्मक वर्णन किया गया है।
प्रायः पड़ोसी देश का प्रायोजित आतंकवाद भारत की शांति में खलल डालता रहता है। दूसरी तरफ चीन भी आए दिन सीमा-विवाद पैदा करता रहता है। देश के अंदर भी छद्म रूप से अनेक राजनैतिक दल व तथाकथित जयचंद आए दिन विध्वंसक गतिविधियाँ करते रहते हैं, इन्हीं में से शेष बचे हुए नेता भाई-भतीजावाद के द्वारा अपनी जेब भरते रहते हैं। इस तरह के व्यभिचार के कारण देश का विकास अवरुद्ध हो गया था। ऐसे में भारत के चहुँमुखी विकास के लिए एवं इक्कीसवीं सदी के संसार में नई पहचान के लिए तथा भारत को परम वैभव पर ले जाने के लिए जिस महापुरुष की आवश्यकता थी, वह नरेंद्र मोदी जी ने ‘भारत के प्रधान मंत्री’ पद की शपथ लेकर पूरी कर दी है। मेरा मानना ही नहीं अपितु पूरा विश्वास है कि अनमोल जी ने मोदी जी के राजनैतिक व वैयक्तिक जीवन पर अपनी सशक्त लेखनी चलाकर केवल अपना कवि-कर्म ही पूरा नहीं किया अपितु एक पुण्य का भी काम किया है।
वास्तव में मोदी जी ही राष्ट्र-भक्ति से परिपूर्ण व्यक्तित्व हैं जो शास्त्रोक्त ‘सत्पुरुष’ की श्रेणी में आते हैं। उनकी कथनी और करनी सदा एक रहती है। हमारे देश भारत को ऐसे ही त्यागी, साहसी, परम वीतराग, निष्कपट, वाक्पटु तथा प्रजा-हितैषी शासक की आवश्यकता सदा ही रही है। इसी श्रेणी में राजा विक्रमादित्य का नाम आज भी बड़ी श्रद्धा के साथ लिया जाता है।
आचार्य ‘अनमोल’ जी ने अपनी रचनाओं में मोदी जी के व्यक्तिगत, स्वभावगत तथा हृदय-आगत भावों और विशेषताओं को बड़ी कुशलता के साथ अपने काव्य में पिरोया है। उन्होंने अपने अनेक गीतों में मोदी जी के संपूर्ण जीवन का खाका संक्षेप में खींच दिया है। प्रायः अपनों को ही मन की बात कही जाती है, इसलिए उन्होंने मोदी जी को उलाहना देते हुए देश के हित में अपने मन की बात भी कही है।
मोदी जी के गुणीय जीवन के ऊपर यह काव्य-कृति अनुपम है। मेरा पूर्ण विश्वास है कि सुधी पाठकों को यह कृति पढ़कर मोदी विषयक जानकारी भी मिलेगी और काव्यानंद भी मिलेगा। अनमोल जी की यह कृति वास्तव में अनमोल है। मैं उन्हें इस अनुपम कृति के लिए शुभकामनाओं के साथ बधाई देता हूँ।
दि0 16-04-2023
हनुमान जयंती

गजेंद्र सोलंकी
अंतरराष्ट्रीय कवि एवं गीतकार, दिल्ली
फोन नं॰ 09811137873

आत्मकथ्य


        समाज में निरंतर गिरते हुए जीवन मूल्य, दूर होती हुई वैयक्तिक नैतिकता, राजनैतिक षड्यंत्र, सामाजिक विषमताओं व कुरीतियों तथा फैली हुई भ्रान्तियों ने मुझे अपने हृदय की बात को लेखनी के माध्यम से लिखने पर मजबूर कर दिया। मानव-मन की व्यथा-कथा, दिनों-दिन बढ़ती स्वार्थ लिप्सा, भ्रष्टाचार का बोलबाला आदि मेरे काव्य-कृति का विषय है। राष्ट्र प्रेम, राष्ट्र एकता और केवल धन के प्रति स्वार्थभरा थोथा आकर्षण मेरे काव्य का मुख्य कथ्य है।
ऐसे समय में जब अपने-अपने दल की स्वार्थ भरी राजनीति सर्वत्र फैली हुई है तब अपने देश को इन बुराइयों से बचाने के लिए केवल एक ही श्रेष्ठ पुरुष दिखाई देते हैं, वह है-भारत के यशस्वी प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी। इन्हीं को आदर्श पुरुष मानकर हस्तगत काव्य कृति की रचना मैंने की है। मेरा पूरा विश्वास है कि वर्तमान दौर में अपने राष्ट्र को परम वैभव पर यदि कोई व्यक्ति ले जा सकता है तो वह यही व्यक्ति है। मैं इन्हें राजनीति में आदर्श पुरुष मानता हूँ। किसी दल विशेष के प्रपंच में न पड़ते हुए मेरे विचार में श्री नरेंद्र मोदी जी एक जुझारू, कर्मठ, ईमानदार, स्वार्थलिप्सा से रहित तथा अहर्निश देश की भलाई की बात सोचने वाला सशक्त व्यक्तित्व हैं।
आए दिन पड़ोसी देश के द्वारा उपजाए आतंकवाद की दिल दहला देने वाली घटनाएँ देश की सीमाओं पर घटित होती रहती हैं। उनसे निपटने के लिए छप्पन इंच का सीना यदि किसी के पास है तो उस श्रेणी में श्री नरेंद्र मोदी जी का नाम गर्व के साथ लिया जाता है।
कश्मीर से धरा 370 हटाने जैसे हिम्मत वाले अनेक ऐतिहासिक कदम उठाकर उन्होंने अपने आपको निडर सावित कर दिया है। नोट बंदी, जी.एस.टी, पाकिस्तान में सर्जीकल स्ट्राइक, कश्मीर में पत्थरवाजों से निपटना, आतंकियों के लिए विदेशों से आने वाले पैसे को बंद करवाना, देश में अनेक अन्य अच्छे परिवर्तनों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का परचम फहराना आदि सामिल हैं।
मैं यह काव्य-कृति श्री नरेंद्र मोदी जी को उनके उज्ज्वल व्यक्तित्व एवं कृतित्व को समर्पित करते हुए उन्हें नमन करता हूँ। आशा है पाठकों को नरेंद्र मोदी जी के शुभ्र व कर्मठ व्यक्तित्व को उजागर करने वाली यह वैयक्तिक काव्य-कृति उनकी यश-गाथा के रूप में पसंद आएगी तथा सभी के साधुवाद की पात्र बन सकेगी। प्रबुद्ध पाठकों के सुझावों की प्रतीक्षा रहेगी………
दि॰ 16-05-2023 बुद्ध पूर्णिमा


आचार्य ‘अनमोल’
पता-सी-84 (शास्त्री निवास)
गली नं०-3, भजनपुरा, दिल्ली-53
फोन नं०-09968014568


मन की बात
रिश्वतखोरी, खून-खराबा, लालच मन में घुसा हुआ,
राजनीति की तिकड़म वाला, पेंच हृदय में फँसा हुआ।
कौन किसी की अब सुनता है, सारे मद में भरे हुए,
नेताओं के कर्म देखकर, सारे जन ही डरे हुए।
मोदी जी अब एक आप हैं, जो दुखियों की सुनते हैं,
पैंसठ वर्ष लुटे हम अब तक, माथा अपना धुनते हैं।।

🌹🌹
मोदी जी की जीत के बाद……
भागे-भागे कर रहे, मोदी पर कुहराम,
गठबंधन की हार से, देखा पूर्ण विराम।
देखा पूर्ण विराम, करें सब ताता थैया।
खुल गई सब की पोल, बिखर गए सारे भैया।
मोदी है ‘अनमोल’ विपक्षी-टूटे धागे
समरसता को देख फिरें सब भागे-भागे।।

🌹🌹
ध्यान सभी का रख रहे, करके मन की बात,
सकल विरोधी रो रहे, देख निजी औकात।
देख निजी औकात, हृदय में अब घबराते।
लूट-लूटकर खाने वाले सब डर जाते।
मोदी है ‘अनमोल’ रखे जो राष्ट्रभक्ति का ज्ञान,
भारत को रक्षक मिला, रख लो उनका ध्यान।।
• आचार्य ‘अनमोल’


🌹🌹

भारत देश महान

हमने पाया सकल जगत में,
भारत देश महान।
इसीलिए हम करते इसका,
रोजाना गुणगान।।
इसकी रज में वीर-बाँकुरे,
मिलजुलकर ही खेले।
असमय विपदा, रिपु के धोखे,
हँस-हँसकर नित झेले।
तन-मन से वे बने रहे थे,
आर्य वतन की आन।। हमने….
उन्नत मुकुट हिमालय जिसकी,
रखवाली है करता।
पैर पखारे रत्नाकर नित,
सुख-सौरभ को भरता।
इसकी महिमा सदा निराली,
बना हुआ जग-शान।। हमने….
शस्य-श्यामला इस धरती पर,
देखी है खुशहाली।
सबका मन आह्लादित करती,
खेतों की हरियाली।
इसके दिव्य गुणों के कारण,
करते सब सम्मान।। हमने….


🌹🌹
मोदी प्यारा आया है

झूमो नाचो मौज मनाओ,
मोदी प्यारा आया है।
भारत का यह भाग्य विधाता,
सबका मन हर्षाया है।।
यही पुरोधा राजनीति का,
स्वच्छ रूप, सेवा-धरी।
भारत की सारी जनता ही,
जाती उन पर बलिहारी।
राष्ट्रभक्त, अति दीन दुखी को,
अपने गले लगाया है।। झूमो…..
कथनी-करनी भेद बिना ही,
जीवन में प्रण धारा है।
मातृभूमि का जीवन-बोझा,
उर से सकल उतारा है।
अपने ही उज्ज्वल कामों से,
मान जगत में पाया है।। झूमो…..
सिंह रूप दिखलाया सबको,
छप्पन इंच वक्ष लेकर।
नव भारत निर्माण कराया,
अथक साधना-स्वर देकर।
उनके इन्हीं गुणों के कारण,
सुख भारत में छाया है।। झूमो…..
जन सेवा जिसके ही मन में ,
कूट-कूटकर भरी हुई।
गुजराती माटी से पोषित,
शक्ति हृदय में धरी हुई।
बिना स्वार्थ के सेवा करना,
पथ ’अनमोल’ बताया है।। झूमो…..


🌹🌹
मोदी जी के संग

आओ सारे चलें सभी हम,
मोदी जी के संग।
अच्छे दिन भारत में आए,
खूब जमेगा रंग।।
भारत विश्व-पटल पर नित ही,
उन्नत पंथ चला है।
सबने की है मेहनत अपनी,
सबका ज्ञान फला है।
खुशहाली को देख विरोधी,
रह जाते हैं दंग।। आओ…….
जमाखोर ने अपने घर में,
पैसा खूब छुपाया।
रिश्वत खाने वालों ने भी,
लूट-लूटकर खाया।
कर चोरों के घर में यारो,
पड़ा रंग में भंग।। आओ…….
आतंकी नोटों को पाकर,
मन में अति मदमाते।
पाक बढ़ावा देता उनको,
दुर्जन सब हर्षाते।
नोट हुए ‘अनमोल’ यहाँ पर,
हुआ हाथ अब तंग।। आओ…….


🌹🌹
मैं भी चैकीदार हूँ

झूठ, फरेबों, मक्कारों को,
मैं पैना हथियार हूँ।
राष्ट्र बचाना है तो बोलो,
मैं भी चैकीदार हूँ।।
संयम, साहस, सदाचार को,
मैंने मन में धारा है।
खाऊँगा न खाने दूँगा,
व्रत मैंने स्वीकारा है।
मेरा जीवन राष्ट्र-समर्पित,
मैं दैनिक अख़बार हूँ।। राष्ट्र…..
सकल देश में मैंने जाकर,
समरसता दिखलाई है।
जो भी बात सदा से प्यारी,
‘मन की बात’ बताई है।
दीन-दलित, पीड़ित लोगों का,
मैं सच्चा पतवार हूँं।। राष्ट्र…..
मैंने कब धन तुमसे माँगा,
कब सुख-सुविधा माँगी है।
उनसे बचने की मैं कहता,
जिनका जीवन दागी है।
संविधान की रक्षा करने,
भारत का सरदार हूँ।। राष्ट्र…..
राष्ट्र-भक्ति जिनके है अंदर,
वे मुझको अति प्यारे हैं।
स्वार्थ भाव से भरे हुए नर,
भारत में हत्यारे हैं।
चोर, निठल्ले, आवारा को,
धरती पर अंगार हूँं।। राष्ट्र…..
मेरा चेहरा देख-देखकर,
दुष्ट सभी जन डरते हैं।
सपने में भी देख मुझे वे,
जीते जी ही मरते हैं।
छप्पन इंच वक्ष है मेरा,
एक देह में चार हूँ।। राष्ट्र…..
रिश्वत, धोखा, कत्ल-खूँरेजी,
सबको यहाँ हटाना है।
जो हैं राजनीति में काले,
जड़ से उन्हें मिटाना है।
काम बहुत हैं करने मुझको,
मत समझो बेकार हूँं।। राष्ट्र…..
सुख-वैभव सारे हैं त्यागे,
जीवन सादा पाया है।
गंगा की सौगंध धारकर,
केवल हक का खाया है।
अटल प्रतिज्ञा मानव-हित में,
यारों का मैं यार हूँं।। राष्ट्र…..
सरल हृदय हूँ, सुनता सबकी,
घुसी न मन अय्यारी है।
भारत की भक्ति ही मुझको,
तन-मन से अति प्यारी है।
इसीलिए ‘अनमोल’ रूप हूँ,
सद्गुण का भंडार हूँं।। राष्ट्र…..



🌹🌹
नोटः- निम्नलिखित गीत में ‘मोदी जी’ शब्द का बार-बार संबोधन काव्य पंक्ति को पूरा करने के लिए
किया गया है। अब तक देश में निरंतर हुए ग़बन-घुटालों की सांकेतिक जानकारी मोदी जी को दी गई है। देश में पहले हुए गड़बड़ घोटालों के लिए मोदी जी जिम्मेदार नहीं हैं।

मन-हर्षाते मोदी जी

हम सारे हैं साथ तुम्हारे,
क्यों सकुचाते मोदी जी!
काला धन रखने वालों का,
दिल दहलाते मोदी जी!
रिश्वत खाने वाले हैं जो,
वे दुख पाते, मोदी जी!
आज खुली है पोल उन्हीं की,
वे पछताते, मोदी जी!
पैंसठ वर्ष देश को लूटा,
वे खिसियाते, मोदी जी!
आया है अब सिंह बली अति,
वे घबराते, मोदी जी!
पहले सारे दल ही मिलकर,
हलुआ खाते, मोदी जी!
टू जी स्पैक्ट्रम के घोटाले,
वे करवाते, मोदी जी!
रिश्वत ठेकेदारों से नित,
वे खाते थे, मोदी जी!
बुरे कर्म करने के कारण,
वे शरमाते, मोदी जी!
चारा, कोयला खाकर वे ही,
पेट फुलाते, मोदी जी!
अपनी करनी देख-देखकर,
वे दुखियाते, मोदी जी!
पाकर मोदी जैसा नेता,
हम इठलाते, मोदी जी!
पत्रकार, साहित्य मनीषी,
सब गुण गाते, मोदी जी!
संसद में निज पाप छुपाने,
वे चिल्लाते, मोदी जी!
जनता के वोटों को पाने,
वे घिघियाते, मोदी जी!
इन सबसे बचकर तुम रहना,
वे मदमाते, मोदी जी!
सत्ता में वे घात लगाने,
गले लगाते, मोदी जी!
सारे मिलकर आग द्वेष की,
वे दहकाते, मोदी जी!
दीन-दुखी ‘अनमोल’ जने सब,
मन-हर्षाते, मोदी जी!


🌹🌹
ये है मोदी की पहचान


जिसकी बनी हुई है शान,
जिसने किया देश उत्थान।
जग में पाया है सम्मान,
ये है मोदी की पहचान।।
घर में नाम नरेन्दर पाया,
सबने श्रेष्ठ उसे बतलाया।
जिसका रहता ऊँचा भाल,
मक्कारों को लगता काल।
नए दौर की जनता सारी,
करती गर्व महान।। ये है…..
सरलभाव, निष्कपट, तपस्वी,
ज्ञानवान, औ परम मनस्वी।
जिसका जीवन दुख में बीता,
कोष-खजाने का घट रीता।
नर में श्रेष्ठ इन्द्र कहलाता,
विश्व गया है जान।। ये है…..
दीन-हीन की झोली भरते,
सरिता-दया प्रवाहित करते।
सेवाश्रम से सब सुख पाते,
सबके ही मन नित हर्षाते।
सब दुविधाओं का करते हैं,
क्षण में सही निदान।। ये है…..
ग़बन, घुटाले करने वाले,
श्वेत वस्त्र, मन के हैं काले।
उनकी बातों में मत आना,
जिसने छीना सुख का खाना।
जान गया है अब वोटर भी,
अब तक था अनजान।। ये है…..
शौचालय घर-घर बनवाया,
भारत जनता को ये भाया।
‘भारत स्वच्छ’ योजना में लाए,
जिसकी महिमा सारे गाए।
बना हुआ ये देश विश्व का,
उन्नत राष्ट्र महान।। ये है…..
राष्ट्रभक्ति में गौरवशाली,
जिसकी विद्या है तपवाली।
सकल जगत फिर प्यारा होगा,
भारत सबसे न्यारा होगा।
गाएँगे सब गीत खुशी से,
मेरा देश महान।। ये है…..
भ्रष्टाचारी खुद रोएँगे,
अपने पापों को धोएँगे।
रिश्वतखोरी बंद करेंगे,
आतंकी बेमौत मरेंगे।
खुश होगा सब देश हमारा,
गाएँगे सुख-गान।। ये है…..
सभी परस्पर गले मिलेंगे,
हर घर में सुख-फूल खिलेंगे।
कटुता मन से दूर भगेगी,
हिम्मत सब में स्वतः जगेगी।
समरसता आएगी जग में,
होगा फिर उत्थान।। ये है…..
ऊँचा भाल सदा रहता है,
बात प्रगति की नित कहता है।
जो रखता है चौड़ी छाती,
सबकी चिंता उसे सताती,
उसका जीवन जिसमें बसता,
है वह कमल निशान।। ये है…..
मोदी जी को वक्त मिलेगा,
भारत माँ का हृदय खिलेगा।
वक्त खुशी का फिर आएगा,
दीन-दुखी मन हर्षाएगा।
हर घर में खुशहाली भरने,
आएगा फरमान।। ये है…..
भारतवासी अब तुम जागो
भ्रम की बातों में मत भागो।
बात हमारी मत बिसराना,
अपना पावन कर्म निभाना।
मानोगे ‘अनमोल’ बात ये,
होगी मुख-मुस्कान।। ये है…..


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माननीय प्रधनमंत्राी श्री मोदी जी के नाम
एक कवि की चिट्ठी-


अच्छे दिन फिर आएँगे


मोदी जी! बस एक आप हैं,
सच में हमें बचाएँगे।
भाषण अपना सिद्ध किया है,
अच्छे दिन फिर आएँगे।।
भारत में आतंकी बैठे,
बंगलादेशी हैं सारे।
कुछ भारत में पाकपरस्ती,
छुपे हुए घर में न्यारे।
काश्मीर था दुखता फोड़ा,
जिसका अब उपचार किया।
जल्दी लेकर कोई निर्णय,
भारत का उद्धार किया।
आतंकी हमलों के कारण,
कैसे हम सुख पाएँगे।। मोदी जी…।।
कहाँ गईं वे सब तलवारें,
जिससे रिपु को मारा था।
महाराणा को देख देखकर,
कायर गौरी हारा था।
राजपुताने वाली शक्ति,
अब भी यहाँ फड़कती है।
झाँसी की रानी की ताकत,
अब भी हृदय-धड़कती है।
काटो वे जेहादी गर्दन,
जो उत्पात मचाएँगे।। मोदी जी…।।
विश्व भ्रमण हो चुका बहुत ही,
अब तो दर की बात करो।
तुमने नीति सही बनवाईं,
अब तो घर की बात करो।
तुम अपने हो इस कारण से,
अपने मन की कहता हूँ।
भारत की घटिया नीति से,
मैं दुविधा में रहता हूँ।
रोज-रोज घुसते घुसपैठी,
कैसे खुशी मनाएँगे।। मोदी जी…।।
ऐसा ना हो भारत-हित में,
देर कहीं अब हो जाए।
ऐसा ना हो भारत फिर से,
गुमनामी में खो जाए।
ऐसा ना हो यवन-लुटेरे,
अपनी छाती चढ़ जाएँ।
ऐसा ना हो धूर्त सपेरे,
भारत भू में बढ़ जाएँ।
लोगे बदला भिखमंगों से,
तब हम सब हर्षाएँगे।। मोदी जी…।।
मत समझो खुद को एकाकी,
हम भी साथ तुम्हारे हैं।
मारेंगे उन सबको चुन-चुन,
मानव के हत्यारे हैं।
वक़्त पड़े तो ताकत अपनी,
दुश्मन को दिखला देंगे।
भारत की रक्षा के हित में,
अपनी जान लड़ा देंगे।
खून हमारा भारतवंशी,
समरसता हम लाएँगे।। मोदी जी…।।
नहीं डरें, उन पाकिस्तानी,
कायर और सपोलों से।
नहीं डरें हम, किसी तरह के,
एटम वाले गोलों से।
गीदड़ भभकी से कब डरते,
खून हमारा खौला है।
हमने उसको बार-बार ही,
चेताया है, बोला है।
कहते हैं ‘अनमोल’ जने सब,
दोज़ख़ में वे जाएँगे।। भाषण………।।
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बंधुओ! पुराने नोट बंद होने के मुख्य कारण वे ही लोग थे, जिन्होंने कानून का पालन नहीं किया, देश में आतंकवाद को बढ़ावा देने से रोकने के लिए हम माननीय मोदी जी के इस साहसी कदम का हृदय से स्वागत करते हैं।


जो है दूध जला


पाप-बुराई से धन पाना,
दुर्जन भरी कला।
श्रम करके जो नित खाता है,
उसका हुआ भला।।
दो नंबर का पैसा जिसने,
चोरी करके पाया।
बंद हुए सब नोट पुराने,
उन्हें देख घबराया।
पीता मट्ठा फूँक-फूँककर,
जो है दूध जला।। पाप….
महँगाई ने आकर घर में,
नित उत्पात मचाया।
जिसके कारण पूरे घर में,
प्यार-सुमन मुर्झाया।
रिश्वतखोरों के कारण ही,
सबका कटा गला।। पाप….
वीरों ने इस धरती माँ को,
अपना खून दिया है।
इसीलिए हर भारतवासी,
सुख से नित्य जिया है।
त्याग-तपस्या के ही कारण,
सबका पुण्य फला।। पाप….
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मोदी को हम करते प्यार


मोदी को हम करते प्यार,
मोदी को हम करते प्यार।
नमन करूँ मैं बारंबार,
मोदी को हम करते प्यार।।
बंद करा तीन सौ सत्तर,
साहस-बल दिखलाया।
सच्चे मानव बनने का,
संकल्प निजी दोहराया।
भ्रष्टाचार घुसा भारत में,
उसको दूर भगाया।
राम राज्य आएगा फिर से,
यह विश्वास जगाया।
इसीलिए मोदी करते हैं,
समरसता-व्यवहार।। मोदी को…
जीवन बीमा से निर्धन का,
जीवन-भार घटाया।
जी एस टी लागू करवाकर,
अति राजस्व कमाया।
जो करते थे गोरख धंधा,
वे व्यापारी रोते।
मोदी की नीति के कारण,
बेचैनी में सोते।
फिर भी किया घुटाला यदि तो,
खाएँगे दुत्कार।। मोदी को…
भारत था सोने की चिड़िया,
ऐसा सारे कहते।
लुटा देश धोखे में आकर,
दुख को सारे सहते।
गबन-घुटाले करने वाले,
मोदी से अब डरते।
रिश्वतखोर पकड़ में आते,
जेलों में अब सड़ते।
मोदी है ‘अनमोल’ रूप में,
करे विश्व सत्कार।। मोदी को…

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मस्तक उसे नवाते हैं

मोदी भारत-भाग्य विधाता,
मस्तक उसे नवाते हैं।
शोषित-पीड़ित की सुध लेता,
उसके ही गुण गाते हैं।।
जिसने अपने इस जीवन में,
घोर गरीबी देखी है।
जिसने अपने निज तन-मन में,
कभी न मारी शेखी है।
जिसका सुयश विश्व में ऊपर,
गगन मध्य में फैला है।
जिसका दामन निर्मल देखा,
कभी न देखा मैला है।
सकल विश्व के नेता सारे,
मोदी को अपनाते हैं।। मोदी…
भरत-पुत्र ने प्रण धारा है,
रिश्वत कभी न खाऊँगा।
भ्रष्ट तंत्र को अवसर देकर,
कभी न मन-हर्षाऊँगा।
जिसके अपने कभी न उससे,
धन की आश लगाते हैं।
राजनीति की ले बैसाखी,
कभी न काम बनाते हैं।
भ्रष्ट जने सब मन ही मन में,
मोदी से घबराते हैं।। मोदी…
चीन करे घुसपैठ देश में,
मन ही मन मदमाता है।
लेकिन मोदी शेर जानकर,
अंतर्मन डर जाता है।
पाकिस्तानी चाल जिहादी,
व्यर्थ उन्हीं की जाती है।
आतंकों की सारी टोली,
भारत में मर जाती है।
पाक पले आतंकी सारे,
मोदी से थर्राते हैं।। मोदी…
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मोदी जी की जय-जयकार

घर में मोदी बाहर मोदी,
मोदी जी की जय-जयकार।
त्याग-तपस्या, संयम से ही,
पाया है जग में सत्कार।।
जिसके नियम-नीतियाँ देखो,
सकल जगत है अपनाता।
इसीलिए मोदी को पाकर,
मन ही मन में हर्षाता।
धीर-वीर अति निपुण विषय में,
सबने उनको माना है।
उनके अंदर प्रेम-ज्ञान का,
अतिशय भरा ख़जाना है।
दीन-हीन के हित में रहकर,
भारत का करते उद्धार।। घर में…
जिसने मुख में वाक् देवि की,
शक्ति प्रखरतम अपनाई।
जिसने संयम-सदाचार की,
कसम सदा से है खाई।
जिसने चाचावाद-भतीजा,
कभी न निज अपनाया है।
जिसने भारत के ही हित में,
श्रम करके दिखलाया है।
आज इसी भारत के होंगे,
सारे ही सपने साकार।। घर में…
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बंगला देशी घुसे देश में

बंगला देशी घुसे देश में,
भ्रष्टाचार बढ़ाया है।
छीना-झपटी बढ़ी यहाँ पर,
किसने इन्हें बसाया है।।
जितनी झुग्गी पड़ी यहाँ पर,
बंगलादेशी हैं सारे।
बिन आज्ञा भारत में आए,
बनकर रहते दुखमारे।
इनके कारण ही भारत ने,
अपना मान घटाया है।। बंगला…
घुसपैठी से सकल आय-,
भारत की गिरती आई है।
अर्थशास्त्र की नीति यही है,
सबकी आय गिराई है।
मोदी जी ने भारत हित में,
नियम नया बनवाया है।। बंगला…
नागरिकता संशोधन बिल से,
सबको सुख से रहना है।
पाक औ बंगाल देश को,
नौ दो ग्यारह कहना है।
भारत की मुक्ति के हित में,
भाव यही बस पाया है।। बंगला…
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भारत है सोने की चिड़िया

भारत है सोने की चिड़िया,
जन-जन को बतलाना है।
आज हमारी ताकत को भी,
सकल विश्व ने माना है।।
पीए को पाके हम फिर से,
इसका मान बढ़ा देंगे।
इसकी रक्षा में हम सारे,
अपनी जान लुटा देंगे।
रोज-रोज घुसपैठी आते,
इनको मार भगाना है।। भारत…
राष्ट्र-भक्ति में वीर लड़े थे,
अपनी जान लुटाई थी।
धन-दौलत की ममता त्यागी,
माँ की लाज बचाई थी।
समर क्षेत्र में हम सबको ही,
अपना शीश चढ़ाना है।। भारत…
वीर शहीदों की बलिवेदी,
अति पावन कहलाती है।
उनकी महिमा को ये दुनिया,
मुखरित होकर गाती है।
मातृभूमि की पुण्य कीर्ति को,
बिन डर के अपनाना है।। भारत…
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अपनी सभी चलाते हैं

वामपंथ की कुत्सित धारा,
भ्रमित जने दिखलाते हैं।
भारत तेरे टुकड़े होंगे,
मिलकर सब ये गाते हैं।।
कोई रिश्वत खाता चुपके,
कोई चारा खाता है।
करता कोक दलाली कोई,
नेता बन मदमाता है।
इनकी गाथा पाप भरी है,
कभी न मन शर्माते हैं।। वाम…
टू जी स्पैक्ट्रम किए घुटाले,
दंद-फंद नित कर डाले।
छीन निवाला दुखियों से ही,
अपने घर को भर डाले।
राष्ट्र समर्पित भाव न इनका,
घर अपना सजवाते हैं।। वाम…
डरे हुए हैं पत्थर फेंका,
दिया सभी ने धोखा है।
जो अब तक सरकारें आईं,
कभी न इनको टोका है।
मोदी जी ही इनके ऊपर,
नियम कड़े बनवाते हैं।। वाम…
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सिंह बली आया है मोदी

सिंह बली आया है मोदी,
जिसका कर्म निराला है।
जिसके यश-सौरभ के आगे,
जग में बहुत उजाला है।।
रोते हैं सब आतातायी,
जो उच्छृंखल जीते थे।
सुरा-सुंदरी का रस लेकर,
अहंकार-मद पीते थे।
ग़बन-घुटाले करके कुछ ने,
विघ्न देश में डाला है।। सिंह…
जब से मोदी जी हैं आए,
सज्जन अति हर्षाता है।
दुर्जन अपने विगत कर्म से,
मन ही मन घबराता है।
खाऊँगा न खाने दूँगा,
व्रत जिसने ये पाला है।। सिंह…
भूमि-माफिया अब घबराता,
तस्कर भी मन रोता है।
करें मिलावट राशन में जो,
बेचैनी में सोता है।
ऐसे लोगों के कारण ही,
जड़ा पाप पर ताला है।। सिंह…
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किया अभी तक शासन है

भारत माँ के चीर हरण में,
पाक बना दुश्शासन है।
राजनीति के जयचंदों ने,
किया अभी तक शासन है।।
विगत दिनों में राजनीति का,
सिक्का खोटा चलता था।
खरदूषण, त्रिजटा थे हर्षित,
सज्जन हाथों मलता था।
वंशवाद को देख-देखकर ही,
रोता भारत-शासन है।। राजनीति…
सत्तर वर्ष लुटा है भारत,
चोर बजारी जारी थी।
ठेकेदारों से नित मिलकर,
खेली लंबी पारी थी।
उनका अब मोदी के आगे,
डगमग-डगमग आसन है।। राजनीति…
जब से मोदी जी आए हैं,
भारत में खुशहाली है।
सुंदर वदन, स्वस्थ हैं सारे,
चेहरे पर भी लाली है।
आज वक़्त आया है ऐसा,
बिना मिलावट राशन है।। राजनीति…
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रोता हिंदुस्तान था

रिश्वतखोरों के ही कारण,
रोता हिंदुस्तान था।
दया-धर्म सब लोप हुए थे,
झूठा सब सम्मान था।।
सत्तर वर्ष इसी भारत को,
वंशवाद ने लूटा था।
महँगाई के कारण यारो,
दया-धर्म सब रूठा था।
भूखे नर नित रोते देखे,
हर्षित अति श्मशान था।। रिश्वतखोरों…
निर्धन, दीन-दुखी जन पहले,
भूखे घर में सोते थे।
अपमानों के आँसू पीकर,
चुप-चुप मन में रोते थे।
दोनों हाथों लूटी जनता,
पाया नित अपमान था।। रिश्वतखोरों…
भ्रष्टाचारी मानव ही अब,
हर दिन मन में रोता है।
आज मनुज इस भारत माँ का,
सुख से घर में सोता है।
मोदी हैं ‘अनमोल’ विश्व में,
छुपा हुआ ये ज्ञान था।। रिश्वतखोरों…
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उनको मोदी कहते सारे

दुखियों के उद्धारक मोदी,
अब भारत के तारक मोदी,
धरती को के उपकारक मोदी,
सकल विश्व हितकारक मोदी।।
मन में मोदी, तन में मोदी,
हर सुखिया अब बोले मोदी।
राशन मोदी, आसन मोदी,
भारत का सिंहासन मोदी,
जनता के हैं त्रासण मोदी,
जब देते हैं भाषण मोदी।।
भोजन-पानी होगा सस्ता,
बोझ बिना अब होगा बस्ता।
कहीं कभी भी पाप न होगा,
शोषक का अब ताप न होगा।
भारत की जय गाना होगा,
माँ को शीश झुकाना होगा।।
भारत की खुशहाली मोदी,
होली और दिवाली मोदी।
माला लेकर जपना मोदी,
सबको लगता अपना मोदी।
कहते हैं ‘अनमोल’ सभी अब,
रामराज्य का सपना मोदी।।
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हमारे वीर सैनिकों ने पाक के नापाक आतंकियों को धूल चटाई। इसलिए आज हर भारतवासी अपना सिर गर्व के साथ ऊँचा करके कह सकता है कि हम भारतवासी हैं। गर्व से बोलो जय हिंद

भारत ने बतलाया है

पाकिस्तानी सारे सुन लो,
अंत समय अब आया है।
होगा ये बर्बाद पाक अब,
भारत ने बतलाया है।।
गंदा भाव हृदय में पाया,
इसीलिए मदमाते हो।
कायर हो, निर्लज्ज कहीं के,
कुत्ते से छिप जाते हो।
देख देख पाबंदी अपनी,
क्यों मन में घबराया है।। पाकिस्तानी…
घर में साँप-सपोले पाले,
पापी रूप दिखाने को।
पीओके के बाद सोचते,
काश्मीर हथियाने को।
केसर की क्यारी में छुपकर,
जनता को भरमाया है।। पाकिस्तानी…
खूब दिखाते पाक परस्ती,
भारत की आजादी में।
कुत्ते जैसे हर दिन मरते,
काश्मीर की वादी में।
नमक हरामी तुमने पाई,
लूट लूटकर खाया है।। पाकिस्तानी…
अमरीका के बलबूते पर,
कब तक मौज उड़ाओगे
उससे भीख माँगकर कब तक,
रोटी अपनी खाओगे।
मारेगा ये चीन तुम्हें भी,
साथ उसी का पाया है।। पाकिस्तानी…
दुनिया कहती पाक, चीन ही,
अमन-चैन हत्यारे हैं।
इसीलिए ये पापी सारे,
आतंकों को प्यारे हैं।
इनको कभी न पास बिठाओ,
गुरुओं ने सिखलाया है।। पाकिस्तानी…
पुलवामा के वीर शहीदों,
का ये लहू पुकार रहा।
दूर करो इन आतंकों को,
भारत अब ललकार रहा।
काश्मीर ’अनमोल’ हमारा,
स्वर्ग यहीं दिखलाया है।। पाकिस्तानी…
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कश्मीर-प्रवास के दौरान मैंने स्वयं अनुभव किया कि वहाँ के कुछ पाकिस्तान प्रेमी लोगों के मन में भारत के प्रति अधिक नफरत है। ऐसे में हम सभी को अपने देश की रक्षा के प्रति अधिक जागरूक होना होगा। यह कविता अपने ही लोगों को संबोधित है-

इस धरती पर न्यारा है

केवल आत्मवंचना करके,
अपने गुण को मत गाओ।
हिम्मत हो तो पीओके में,
ध्वज भारत का फहराओ।
इधर-उधर की बातें केवल,
अपने मन को बहलातीं।
आतंकी लोगों की गोली,
पूरा भारत दहलातीं।
काश्मीर को अपनी धरती,
पाक-परस्ती कहते हैं।
राजनीति-आश्रय के कारण,
कष्ट सभी जन सहते हैं।।
उठो, आँधियों से टकराओ,
सोने का अब वक़्त नहीं।
अपनी धरती की खुशहाली,
खोने का अब वक़्त नहीं।
केवल थोथी बातों से ही,
उन्नत भाल नहीं होगा।
सीख हमें उससे है मिलती,
जो अब तक हमने भोगा।
जिसने कफन बाँधकर सिर में,
घर आज़ाद कराया था।
उनके ही इस गुण को सब ने,
मुखरित होकर गाया था।।
कहीं आज है बोढो गड़बड़,
माओवादी आज कहीं।
भाषा-जाति सभी भड़काते,
राजनीति की गाज कहीं।
मणिपुर-मेघालय-त्रिपुरा में,
क्षेत्रवाद का दंगा है।
इस भारत की धरती पर,
दुखियाता मिला तिरंगा है।
राजनीति के कारण दूषित-
मन वाले अति नर छाए।
प्रायोजित आतंकवाद के,
पैर यहाँ पर हैं पाए।।
वक़्त रहे यदि ना जागे तो,
निज घर को हम खोएँगे।
जब आएगी आँच सभी पर,
माथा पकड़े रोएँगे।
अपनी आँखों से ये मंज़र,
काश्मीर में देखा है।
पाक-परस्ती लोगों के उर,
भरी ज़हर की रेखा है।
केसर की अनुपम क्यारी का,
हित-दायित्व हमारा है।
यही देश ‘अनमोल’ गुणों से,
इस धरती पर न्यारा है।।
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हे भारत माँ तुम्हें प्रणाम

हे पुण्य धरा पावन निष्काम।
हे भारत माँ तुम्हें प्रणाम।।
पुण्यभूमि हे महामंगले,
हुए यहाँ पर प्रभुवर राम।
आर्य जनों की भारत माता,
तुमको बारम्बार प्रणाम।।
हर सुख-दुख में हमें निभाया,
तेरे हित ये निर्मित काया।
अर्पित करता हूँ सब अपना,
माँ के चरणों में धन-धाम।
हे भारत माँ तुम्हें प्रणाम।।
हे शक्ति, जीवन की दाता,
हम सबकी हो तुम ही माता।
अंगभूत हम हिन्दु-राष्ट्र के,
तुम्हें समर्पित निज तन-नाम।
हे भारत माँ तुम्हें प्रणाम।।
सकल विश्व में रहें जेय हम,
पाएँ सच्चा कर्म-श्रेय हम।
निर्मल सृष्टि बने यह धरती,
सुखद रूप हों प्रातः-शाम।
हे भारत माँ तुम्हें प्रणाम।।
अभ्युदय श्रेयस के स्वर पाएँ,
वीरव्रती संकल्प निभाएँ।
हो स्फुरण जागरण देश में,
निकले मुख से प्रभु का नाम।
हे भारत माँ तुम्हें प्रणाम।।
रहे ध्येय सत् निष्ठा मन में,
बढ़ै राष्ट्र वैभव जन-जन में।
विजयशालिनी शक्ति संगठित,
करें देश-हित सारे काम।
हे भारत माँ तुम्हें प्रणाम।।
छवि तेरी ही हृदय बसी है,
रक्षा के हित कमर कसी है।
दो आशीष हमें ये माता,
हों पूरित संकल्प तमाम।
हे भारत माँ तुम्हें प्रणाम।।
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राजतिलक की तैयारी

हर हर मोदी घर घर मोदी,
विजय मिली सबसे न्यारी।
मोदी जी की हमने की है,
राजतिलक की तैयारी।।
जिसकी गौरव गाथा ने ही,
भारत मान बढ़ाया है।
सौम्य, शुभ्र, निर्मल जीवन में,
उच्च परम पद पाया है।
वाणी जिसकी विपुल वैखरी,
दृष्टि रखे अति सुखकारी।। मोदी जी…
समरसता का भाव दिखाकर,
गौरव अतिशय नित पाया।
सकल विश्व में भारत भू का,
ध्वज ऊँचा ही लहराया।
कहते हैं ‘युगपुरुष’ उन्हें सब,
मानव-तन में अवतारी।। मोदी जी…
भारत के ही हित में आकर,
‘नोट बंद’ था करवाया।
जी.एस.टी से धन संचय कर,
राजकोष था भरवाया।।
त्याग, तपस्या के कारण ही,
कहलाते हैं त्रिपुरारी।। मोदी जी…
उस मूरत को करूँ वंदना,
जिसमें संयम, धैर्य भरा।
कुपथ-पंथ पर चलने वाला,
कुत्सित नर है डरा डरा।
है ‘अनमोल’ राष्ट्र की भक्ति,
मानव-हित में गुणगारी।। मोदी जी…
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विश्व-गुरू कहलाता है

सदियों से ये पुण्य वतन है,
सुख-सौरभ का दाता है।
इसीलिए ये भारत अपना,
विश्व गुरू कहलाता है।।
एक वर्ष में छह ऋतुओं का,
संगम क्रम से होता है।
हिम-आतप से पतझड़ मिल,
एकाकी बनकर रोता है।
जिस धरती पर राम-कृष्ण ने,
लीला परम रचाई थी।
गुरु नानक, सत् महावीर ने,
शांति यहीं पर पाई थी।
विश्व आज इस परम सत्य को,
जन-जन में फैलाता है।। इसीलिए ये…
योग भूमि की महिमा जग ने
मुखरित होकर गाई है।
इस धरती पर जन्म-मृत्यु भी,
दोनों ही सुखदाई है।
भोगों से उपराम हुआ नर,
सच्चाई को कहता है।
आने को भारत धरती पर,
इस आशा में रहता है।
सबका लालन-पालन करती,
जन-जन की ये माता है।। इसीलिए ये…
भारत की संस्कृति अति सुंदर,
भेद अनेक दिखाती है।
ऊपर से सब अलग-अलग,
पर, रस्ता एक बताती है।
भाषा-भेद भिन्न हैं इसमें,
जाति-पाँति के भेद बड़े।
खान-पान के भेद निराले,
व्रत, उत्सव से भरे घड़े।
मिलजुलकर सब रहें परस्पर,
ऐक्य भाव सिखलाता है।। इसीलिए ये….
रहन-सहन में मेल नहीं ,
वस्त्राभूषण हैं न्यारे।
चाहे अंतर कितना हो पर,
भारत को सब हैं प्यारे।
खान-पान सब में है अंतर,
भेद सभी के हैं अपने।
भारत में खुशहाली होवे,
सबके ये ही हैं सपने।
गंगा-जमुनी प्रेम परस्पर,
सब पर सुख बरसाता है।। इसीलिए ये….
ज्ञान युक्त भंडार विपुल है,
सकल सृष्टि को हितकारी।
चारों वेद, ज्ञान ऋषियों का,
सबको हैं मंगलकारी।
महाभारत, गीता ने मिलकर,
सच का मार्ग सुझाया है।
कर्म, ज्ञान का महत्त्व बताकर,
सच सबको बतलाया है।
जो इसमें लेता है गोता,
मार्ग सत्य पा जाता है।। इसीलिए ये….
रामचरित मानस में पग-पग,
कथा ज्ञान की आती है।
जो मानव के पाप कर्म की,
होती जड़ से घाती है।
मात-पिता को, अच्छे सुत को,
सत् आदर्श बताया है।
राजा को जनता के हित में,
रहना भी सिखलाया है।
इससे पामर व्यक्ति जगत में,
सच्चाई को पाता है।। इसीलिए ये….
इस धरती की महिमा सारे,
देव खुशी से गाते हैं।
करने को क्रीडा इस भू पर,
मन ही मन ललचाते हैं।
आर्य वतन का भरत खंड अति,
पावन-पुण्य निराला है।। इसीलिए ये….
सकल धरा पर योग-ध्यान को,
ये ही देने वाला है।
इसके ज्ञान-पुंज को पाकर,
पश्चिम भी मतवाला है।
अर्थ-काम को पश्चिम धरती,
सहज मनुज को देती है।
दूर कराके सत्य-सुपथ से,
तन मन में भर देती है।
आर्य वतन की शक्ति निराली,
ये आदर्श सिखाती है।
ये धरती ही भुक्ति-मुक्ति को,
जग में देने वाली है।
ऐसा नर भारत में आकर,
सुख मन में भर लाता है।। इसीलिए ये….
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लगते सबको मोदी प्यारे

नमो-नमो कहते हैं सारे,
लगते सबको मोदी प्यारे।
राष्ट्र समर्पित जीवन उनका,
रहते हैं वे सबसे न्यारे।
प्यार हृदय का दिया सभी को,
जगमग धरती के हैं तारे।
उनकी अथक कार्यशैली से,
उनके सम्मुख कायर हारे।
सकल धरा उनका यश गाती,
सबको लगते चाँद-सितारे।
काम निराले किए यहाँ पर,
बोझ देश के सभी उतारे।
सबको दिया सहारा मन से,
जो थे भूख, गरीबी मारे।
दीन-दुखी को गले लगाया,
खुश होते पीड़ित बेचारे।
सबको ही रस्ता दिखलाया,
बनकर के जग के पतवारे।
भूख, प्यास पीड़ित जनता को,
दिए सभी को सुखी किनारे।
कहलाते ‘अनमोल’ जगत में,
सदा देश के बन रखवारे।
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काम मोदी करवावेगो

मित्र! अब हो जाओ तैयार,
काम मोदी करवावेगो।
कुछ ने पशु को चारा खायो,
कुछ ने झूठ-कपट दिखलायो।
नोट बंद पर धन सरकायो,
सरकारी धन ग़बन करायो।
मोदी के आवेगो हत्थे,
प्रभु गुण गावेगो।। मित्र!…
काश्मीर-बालक बहकाए,
पैसे दे पत्थर फिकवाए।
आतंकी जन से मिल आए,
आपस में दंगे करवाए।
जब भी सबल बनेगो मोदी,
खूब नचावेगो।। मित्र!…
कुछ हैं राजनीति के अंदर,
कुछ कहलाते बड़े बवंडर।
बात-बात पर रोते रहते,
बक-बक अपनी कहते रहते।
जा दिन बोलेगो फिर पप्पू,
खूब हँसावेगो।। मित्र!…
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कहलाता वह वीर

दीन-दुखी को देख पिघलता,
कहलाता वह वीर।
पावन पंथ-पथिक बन चलता,
ज्यों गंगा का नीर।।
जिसके मुख पर तेज विराजे,
करे भलाई काम।
राष्ट्र समर्पित जीवन जिसका,
छोड़ा नित आराम।
वाणी नित्य बोलता ऐसी,
मधुर-मलाई खीर।। दीन-दुखी…
हिलमिल सबसे मिले यहाँ पर,
काम करे मतवाले।
ऊँच-नीच के भेद हृदय में,
कभी न जिसने पाले।
सिंह, मृगी, अज पानी पीते,
आकर सरिता तीर।। दीन-दुखी…
अपने मोदी इन्हीं गुणों से,
राष्ट्र-भक्त कहलाते।
पाप-पुंज उसके ही सम्मुख,
आने में दहलाते।
कोमल मन अतिशय अकुलाता,
देख पराई पीर।। दीन-दुखी…
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भारत देश बचाना है

सुनो-सुनो अब भारत-वासी,
हिम्मत-बल दिखलाना है।
जयचंदों की इस आँधी से,
भारत देश बचाना है।।
ये आँधी काली है मन से,
झूठे स्वप्न दिखाती।
नया-नया यौवन बहकाकर,
पत्थर ये फिकवाती।
इसकी हवा विकट अति दूषित,
देश आर्य अपनाना है।। पाक-परस्ती…
भारत है देवों की धरती,
वीर पुरुष की माता।
जो भी भारत में है जन्मा,
गीत देश के गाता।
इसका संयम, त्याग निराला,
इसमें मिला ख़जाना है।। पाक-परस्ती…
अपने दम पर करें भरोसा,
सच्चाई को हम जानें।
भोगवाद की तृष्णा त्यागें,
श्रम-फल को अब हम मानें।
झूठे सपनों को बिसराकर,
गीत खुशी के गाना है।। पाक-परस्ती…
सकल विश्व भी इस भूमि को,
पावन धरती कहते हैं।
भोग-वृत्ति से भरा हुआ मन,
भारत-आकर रहते हैं।
नर सारे ‘अनमोल’ रत्न हैं,
भारत में ये जाना है।। पाक-परस्ती…
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हे भारत भू के जननायक

हे भारत भू के जननायक!
तुम करो देश का अब उद्धार।।
आजादी से पहले अपने,
वीरों ने दी कुर्बानी।
उनके कारण मिली सभी को,
भोर सुनहरी मस्तानी।
लेकिन कोहरा आज घना है,
करो देश पर तुम उपकार।। हे भारत…
हाथ तुम्हारे विजय पताका,
भारत की अब सौंपी।
कुछ ने स्वारथ के ही कारण,
छुरी हृदय में घौंपी।
इनसे देश बचाने खातिर,
हो जाओ अब तुम तैयार।। हे भारत…
कुछ ने महल बनाए अपने,
करके रिश्वतखोरी।
ऐसे लोग सदा माहिर हैं,
करने में नित चोरी।
निर्धन जनता लुटे न घर में,
करो वचन इतना स्वीकार।। हे भारत…
भारत की संस्कृति है अनुपम,
उसको आज बचाना।
विश्व गुरु की अपनी थाथी,
भारत को दिलवाना।
हम सारे ही ऋणी रहेंगे,
करो आज इतना उपकार।। हे भारत…
वेद शास्त्र सद् ग्रंथ हमारे,
महिमा जग में पाते।
भोगवृत्ति में डूबे नर को,
अपनी और लुभाते।
देशभक्ति की करें साधना,
हमको दो इतना अधिकार।। हे भारत…
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प्रेम-भरा हो जग अपना

सच कर दो प्रभु मन-सपना।
प्रेम-भरा हो जग अपना।।
ऊँच-नीच के भेदभाव की,
मिट जाएँ तकरारें।
करें परस्पर सबका आदर,
गूँजें जय-जयकारें।।
पुण्य कमाएँ परमारथ का,
सीखें परहित तपना।। सच…
पार करा दो भव सागर से,
निर्मल मन हो मोती।
हो निर्मूल तिमिर हर मन का,
पावन हो उर-ज्योति।
छूट जाएँ आडम्बर सारे,
सीखें प्रभु को जपना।। सच…
बनें दया के सारे दानी,
समरसता को लाएँ।
सच्चा ज्ञान दिया है तुमने,
मिल-जुलकर हर्षाएँ।
चलें प्रगति-पथ पर दृढ़ता से,
मिट जाए उर-कँपना।। सच…
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करो धरा को स्वच्छ

करो धरा को स्वच्छ सभी जन,
यह अभियान पुराना है।
इससे वसुधा हर्षित होती,
जीवन स्वस्थ बनाना है।।
शस्य श्यामला रूप मनोहर,
सुंदरतम अति पाया है।
इसकी महिमा को कवियों ने,
मुखरित होकर गाया है।
सुषमा-सौरभ का धरती पर,
मिलता नित्य ख़ज़ाना है।। करो…..
मोदी ने जग अलख जगाया,
साफ-सफाई करने को।
स्वस्थ और नीरोग रहें सब,
खुशियाँ मन में भरने को।
राष्ट्र उसी के साथ रहा है,
जिसने उसको जाना है।। करो…..
हम सारे अब मिलकर नित ही,
बात श्रेष्ठ अपनाएँगे।
घर, वीथी, कूचे, निज गलियाँ,
हर दिन साफ बनाएँगे।
भारत का ‘अनमोल’ रूप से,
सदा सदा याराना है।। करो…..
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भारत का अभिनंदन

अवनि-क्षितिज भी करते देखे,
भारत का अभिनंदन।
वीरों की इस पावन रज को,
निज मस्तक पर धारूँ।
इसके ऊपर तन-मन अपना,
खुशी खुशी मैं वारूँ।
श्रम-सुरभित है इसकी माटी,
कहलाती ये चंदन।। अवनि…
ज्ञान और विज्ञान कला में,
भारत नित्य बढ़ा है।
विश्व पटल पर उन्नत मस्तक,
सीना तान खड़ा है।
सकल धरा पर मान बढ़ाते,
भारत भू के नंदन।। अवनि…
तपःपूत सारे नर-नारी,
पावन कर्म निभाते।
भारत है ‘अनमोल’ विश्व में,
ज्ञानी ये बतलाते।
प्रातः उठकर हम सब करते,
निज वसुधा का वंदन।। अवनि…
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वे नर ही मदमाते हैं

पकी-पकाई जिन्हें मिली है,
वे नर ही मदमाते हैं।
बुद्धि भ्रष्ट गीदड़ की होती,
वही गाँव-घुस आता।
आश्रय-हीन समझता खुद को,
तब मन में घबराता।
आता है जब बुरा वक़्त भी,
चींटी के पर आते हैं।। पकी…
बात निराली वे करते हैं,
द्वेष-भाव दिखलाकर।
अपने तन-धन की शक्ति को,
खुद मुख से बतलाकर।
अंधें में वे बनते काने,
बातों में बहकाते हैं।। पकी…
आगा-पाछा तुच्छ उन्हीं का,
दर्प हृदय में भरते।
हीन भावना के कारण ही,
मन में ये नर डरते।
चार गाँठ हल्दी की लेकर,
पंसारी बन जाते हैं।। पकी…
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वह नर हिंदुस्तानी है

जिसके मन रहती खुशहाली,
सिंचित गंगा-पानी है।
सकल विश्व जिसका यश गाता,
वह नर हिंदुस्तानी है।।
जिसके पूर्व जनों ने गंगा,
धरती पर बुलवाई थी।
जिसके पूर्व जनों ने शैली,
सादा ही अपनाई थी।
इसीलिए भारत का वासी,
धर्म-कर्म में ज्ञानी है।। सकल…
तान बाँसुरी का स्वर लाकर,
गोपी रास रचाया था।
ब्रह्म और गोपी, ऋषियों का,
इसमें मेल कराया था।
आर्य वतन के इन रूपों पर,
हर नर ही अभिमानी है।। सकल…
भीष्म प्रतिज्ञा करी देवव्रत,
उसे सत्य कर दिखलाया।
अपने व्रत की रक्षा के हित,
ज्ञान शास्त्र का सिखलाया।
कथनी-करनी एक रहे बस,
यही बात अपनानी है।। सकल…
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भारत उसको कहते हैं

भिन्न जातियाँ भिन्न पंथ के,
हिलमिल जन सब रहते हैं।
समरसता दिल में जो रखता,
भारत उसको कहते हैं।
खानपान के भेद निराले,
श्रेष्ठ भाव उर में बहते।
बोली-भाषा भिन्न-भिन्न हैं,
भारत उसको कहते हैं।
कर्म मार्ग को श्रेष्ठ मानते,
सुख-दुख जग में सहते।
राष्ट्र एकता मन में रहती,
भारत उसको कहते हैं।
मलयाचल को छूकर आते,
पवन गंध को वे देते।
सप्तगिरी और सप्त धाम हैं,
भारत उसको कहते हैं।
सबसे ऊँचा मुकुट हिमालय,
पवन-मलयगिरि के बहते।
पैर पखारे रत्नाकर नित,
भारत उसको कहते हैं।

आर्य संस्कृति श्रेष्ठ मानकर,

सकल विश्व जन गहते हैं,
धरती पर अनमोलदेश है,

भारत उसको कहते हैं।।

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हाँ, सच में मैं चोर हूँ

दुनिया के छल-छिद्र कपट को,
मन से नित्य चुराया है।
इस भारत को दुष्ट जनों से,
मैंने सदा बचाया है।
तुम मुझको लाँछन देते हो,
मुझको चोर बताते हो।
जिस धरती पर जन्म लिया है,
उसको ही दुखियाते हो।
तब मैं खुलकर सबसे कहता,
राष्ट्रभक्ति की भोर हूँ।
भारत की मैं सेवा करता,
हाँ, सच में मैं चोर हूँ।।
ना खाऊँगा, खाने दूँगा,
मेरा ऐसा नारा है।
इस धरती पर श्रेष्ठ वतन ये,
सबको भारत प्यारा है।
इसकी रक्षा की खातिर ही,
प्राण-प्रतिज्ञा धारी है।
राम-कृष्ण की है ये भूमि,
सकल विश्व में न्यारी है।
खुलकर मैं जग से कहता हूँ,
पाप विरोधी घोर हूँ।
सकल विपक्षी कुछ भी बोलें,
हाँ, सच में मैं चोर हूँ।।
वंशवाद की बेल बढ़ाने,
मिलकर धन को लूटा था।
रामराज्य वाला प्रण अपना,
पीछे सबसे छूटा था।
आज वक्त आया है सुंदर,
समरसता को लाना है।
वैभव वाला सपना अब तो,
मिलकर सफल बनाना है।
भारत है ‘अनमोल’ जगत में,
मैं उसकी ही डोर हूँ।
चाहे कितना शोर मचा लो,
हाँ, सच में मैं चोर हूँ।।


आचार्य अनमोल

 

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