नशा जब आँख पर छाए,
किसी की बात ना भाए।
हृदय चुपचाप खो जाए,
लड़कपन की निशानी है।।
बिना पिए, बिना खाए,
नशा हर वक्त हो जाए।
खुमारी प्यार दर्शाए,
लड़कपन की निशानी है।।
जिसे माँ-बाप ना भाते,
सभी दुश्मन नज़र आते।
जिसे हैं फूल हर्षाते,
लड़कपन की निशानी है।।
नयन में नींद रहती हो,
उदासी प्यार कहती हो।
हृदय में पीर बहती हो,
लड़कपन की निशानी है।।
4 दिसम्बर 2024 @ 5:39 अपराह्न
आज के परिपेक्ष को देखते हुए सुन्दर शब्दों को माला मे पिरोया है । अनमोल कविता है। अनमोल जी की ।