अनमोल की अनमोल है- ‘हिंदी छंद मंजूषा’
यूँ तो अनेक कवि अपनी किताब की भूमिका के लिए पाण्डुलिपियाँ भेजते रहते हैं और जितना भी संभव होता है, मैं उन्हें पढ़कर भूमिका लिख भी देता हूँ। ये किताबें अधिकांशतः कविताओं की होतीं हैं, जिनमें सिर्फ भाव देखना होता है। यदा-कदा शिल्प की चर्चा भी कर लिया करते हैं किंतु एक लंबे अंतराल के […]