समर्पित अन्नाद् भवन्ति भूतानि पर्जन्यादन्नसम्भवः। यज्ञाद् भवति पर्जन्यो यज्ञः कर्मसमुद्भवः।। – श्रीमद्भगवद्गीता ……….प्राणदायिनी रोटी को, जो जगत के प्राणियों को जीवन देती है। – आचार्य अनमोल भूमिका आचार्य अनमोल द्वारा लिखित काव्य की पुस्तक ‘रोटी की महिमा’ की पांडुलिपि को पढ़ने का मौका मिला। वास्तव में ये पुस्तक भले ही पृष्ठों में छोटी है लेकिन […]
किसी संकल्पित फल प्राप्ति के लिए दिनभर या कुछ समय के लिए भोजन, पानी या दोनों का त्याग करना व्रत कहलाता है। व्रत में संयम, और नियमों का पालन किया जाता है। व्रत किसी भी दिन और किसी भी कारण से या संकल्प पूर्ति के लिए किया जा सकता है। वास्तव में व्रत करने का […]
यूँ तो अनेक कवि अपनी किताब की भूमिका के लिए पाण्डुलिपियाँ भेजते रहते हैं और जितना भी संभव होता है, मैं उन्हें पढ़कर भूमिका लिख भी देता हूँ। ये किताबें अधिकांशतः कविताओं की होतीं हैं, जिनमें सिर्फ भाव देखना होता है। यदा-कदा शिल्प की चर्चा भी कर लिया करते हैं किंतु एक लंबे अंतराल के […]
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूज्य गुरु जी ने माननीय दत्तोपंत ठेंगड़ी जी से पूछा कि मजदूर संघ की स्थापना कब हुई थी? तब उन्होंने बताया कि इसकी स्थापना 1955 में हुई थी। यह सुनकर गुरु जी ने कहा कि मैं तो समझता था कि इसकी स्थापना 1925 में हुई थी। गुरु जी के इस […]
महारानी अहिल्याबाई होलकर का जन्म 31 मई 1725 को चोंडी गाँव (चांदवड़), इंदौर राज्य, मराठा संघ, वर्तमान अहमदनगर (महाराष्ट्र) में हुआ था। अहिल्याबाई के पिता मानकोजी शिंदे एक मामूली किंतु संस्कार वाले आदमी थे। उस समय महिलाएँ स्कूल नहीं जाती थीं, लेकिन अहिल्याबाई के पिता ने उन्हें लिखने-पढ़ने लायक बनाया। ऐसा कहा जाता […]
सवैया छंद (22 से 26 अक्षर वाले सम वर्णिक छंद) सवैया चार चरणों का समपद वर्णिक छंद है। वर्णिक वृत्तों में 22 से 26 अक्षर के चार चरण वाले जाति छंदों को सामूहिक रूप से हिंदी में सवैया कहा जाता है। सवैये के मुख्य 14 प्रकार हैंः- 1 मदिरा, 2.मत्तगयंद, 3. सुमुखी, 4. दुर्मिल, […]