दिल्ली जैसी नगरी में संविधान संसद में रोता,दिल्ली जैसी नगरी में।अपने आदर्शों को खोता।दिल्ली जैसी नगरी में।। भाग्य रोज संसद में बनता,दिल्ली जैसी नगरी में।रोती देखी सारी जनता,दिल्ली जैसी नगरी में।। स्वारथ में जो बनता घोड़ा,दिल्ली जैसी नगरी में।करे काम नर दौड़ा-दौड़ा,दिल्ली जैसी नगरी में।। भाग-दोड़ नर करते देखे,दिल्ली जैसी नगरी में।दुख के मारे मरतेे […]
जब से घर आजा़दी आई।बढ़ी कुशासन की प्रभुताई।। जंगल राज शहर में आया,जिसे देख पशुता चकराई। बन्दी मोर, हंस पिंजड़ों में,कौवों ने किस्मत चमकाई। उपदेशक बिक रहे यहाँ पर,रंग गेरुआ करे कमाई। शोषक कुर्सी पाकर बैठे,राजनीति बन गई कसाई। कपटी गुरू, लालची चेला,दोनों मिल खा रहे मलाई। चंबल क्षेत्र हो गया खाली,संसद डाकू-दली बनाई। किसको […]
मुझको यारो जीने खातिर,पत्नी प्यारी चाहिए।पढ़ी-लिखी हो या अनपढ़ हो,केवल क्वारी चाहिए।। उसका तन महकाए खुशबू,रूप परी-सी लगती हो।मुझको तो सोने दे घर में,स्वयं रातभर जगती हो।करे काम वह सारे घर का,गुण में न्यारी चाहिए।। मुझको… दो बच्चे होते हैं अच्छे,यही सोचकर रहता हूँ।घर में दो बच्चे पाने की,सदा प्रणय में कहता हूँ।ध्यान रखे वह […]
घर से दवाई लाने के लिए जाते समय मेरा दिमाग सड़ गया और अपने पर्चे की जगह, नौ महीने की गर्भवती पत्नी का पर्चा हाथ पड़ गया मुझे जुकाम खाँसी और पेट में दर्द हो रहा था इसलिए मैं चलते-चलते भी रो रहा था। डाॅक्टर के पास पहुँचकर ही मैंने अपने पेट के दर्द का […]
जहाँ भी देखो, जिधर भी देखो, लंबे-चौड़े नेता छा गए। जनता को धोखा देने को, यारो फिर से चुनाव आ गए।। कपड़े पहने नए-नए फिर, नेता सबसे मिलने आए। चमचे जयकारे भी बोलें, भव्य मंच पर सभा सजाए। झूठ-साँच के भाषण द्वारा, नेता सबके भाग्य जगा गए।। जनता… हलचल बड़े घरों में देखी, चमक स्वार्थ […]
नशा जब आँख पर छाए, किसी की बात ना भाए। हृदय चुपचाप खो जाए, लड़कपन की निशानी है।। बिना पिए, बिना खाए, नशा हर वक्त हो जाए। खुमारी प्यार दर्शाए, लड़कपन की निशानी है।। जिसे माँ-बाप ना भाते, सभी दुश्मन नज़र आते। जिसे हैं फूल हर्षाते, लड़कपन की निशानी है।। नयन में नींद रहती हो, […]